मेरा अधिकार
मेरा अधिकार
मेरे किसी अपने ने यह बात कही थी।
बेटी दिवस ,माता दिवस क्यूँ मनाते हैं लोग।
बेटी बचाओ का अभियान चलाते हैं लोग।
मेट्रो में भी एक डिब्बा आरक्षित करवा लिया।
यह सब कर औरत पर अधिकार जताते हैं लोग।
सच्चाई तो यह है मेरे करीबी हबीबी दोस्तो।
यह तो मात्र दिखावा करते हैं लोग।
राजनीतिक से ओतप्रोत राजनैतिक लोग।
बसों में मुफ्त सेवा नारी को देकर।
अपना मतलब हल करते हैं यह लोग।
साथ चलते हुए भी ठोकर और मारते यही लोग।
आबरू बेच वोटों की सियासत करते हैं लोग।
कब खुद से हमें अधिकार दिया आपने?
कोख में दबे पाँव लड़की मारते यही लोग।
कभी किसी लड़के को कोख में मरता देखा आपने?
लिंग जाँच पर रोक लगाई सरकार ने।
अब भूण हत्या ना हो कभी गर्भ में।
हर त्योहार जैसे बने आपके ही लिए।
क्या कोई त्यौहार बना है हमारे लिए?
करवा चौथ, भाई दूज,रक्षाबंधन है सभी आपके।
क्या कोई भी रखता व्रत हमारे लिए?
पति की लंबी उम्र करने के चक्कर में।
क्यूँ पत्नी की ही उम्र घटाते यही लोग।
बेटी के जन्म पर आँसू बहाते हैं लोग।
आज भी हर घर में बेटा मांगते हैं लोग।
हमने क्या कभी शिकायत की आपसे।
फिर भी आपको शिकायत है हमसे।
बहुत मुश्किल से हमने खुद को जीता है।
अब नहीं यू खुद को पीछे जाने देंगे।
अपना परचम ज़मी से आसमां में फहराएंगे हम।
अपना परचम ज़मी से आसमां में फहराएंगे हम।
एकता सिंह चौहान
नई दिल्ली
Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Jan-2023 07:08 AM
बहुत ही उम्दा सृजन और यथार्थ चित्रण
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Raziya bano
20-Nov-2022 11:06 AM
Shaandar
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Rajeev kumar jha
19-Nov-2022 11:33 PM
बहुत खूब
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